19 नवंबर, 2022

चाँद का अक्स - -

वही मायावी चेहरों का झुरमुट, पोशाक बदलते लोग,
नीले समंदर में उतरा है चाँद, छूने को मचलते लोग,

हर एक परत में छुपे हुए हैं बहुमुखी रहस्यों के जाल,
बेमानी है यक़ीं, मोम के सांचे में हर पल ढलते लोग,

ताउम्र साथ रहने का दावा, ख़्वाब से कुछ कम नहीं,
अंध फ़क़ीर है दुनिया, दूसरों को गिरा संभलते लोग,

असल और सूद के दरमियां झूलते है रिश्तों के ग्राफ़,
ज़रूरत की घड़ी में यूँ पतली गली से खिसकते लोग,

फिर भी सफर ए ज़िन्दगी रुकता नहीं किसी के लिए,
तारीफ़ की चादर ओढ़ कर, भीतर भीतर जलते लोग,
* *
- - शांतनु सान्याल
 

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