12 नवंबर, 2022
छोटी छोटी खुशियां - -
लफ़्ज़ों के तिलिस्म से बाहर निकल कर देखें,
मोम की तरह, रफ़्ता - रफ़्ता पिघल कर देखें,
यूँ तो हर कोई मसीहाई का मुतालबा करता है,
रूबरू अक्स कड़ुआ सच कभी निगल कर देखें,
कहने को बहुत कुछ है तुम्हारे पास मेरे दोस्त,
रिंग चलाते बच्चे से, एक लम्हा मिल कर देखें,
छोटी छोटी ख़ुशियों को, ख़रीदना आसान नहीं,
तेज़ बारिश में, कच्चे राह पर, फिसल कर देखें,
कांच की खिड़की से धुंध का मज़ा नहीं मिलता,
सब्ज़ वादियों में ख़ुद को कभी ओझल कर देखें।
* *
- - शांतनु सान्याल
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 13 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
असंख्य आभार आदरणीया यशोदा दी ।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार आदरणीया ।
हटाएंक्षमा चाहती हूँ रविवार (13 -11-22)
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार आदरणीया ।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार आदरणीया ।
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार आदरणीया ।
हटाएंअसंख्य आभार आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंकांच की खिड़की से धुंध का मज़ा नहीं मिलता,
जवाब देंहटाएंसब्ज़ वादियों में ख़ुद को कभी ओझल कर देखें।
बहुत सुंदर।