न तराश सब को अपने मूल्यों के छेनियों
से, कुछ पत्थर हैं, जो समय को भी
रोक लेते हैं अपनी जगह किसी
चुम्बक की तरह, रहने दे
मुझे यूँ ही उपेक्षित
माटी में सना,
किसी एक
दिन
मैं ज़रूर उभर आऊंगा आत्म कृत तक्षक
की तरह, जो समय को भी रोक लेते
हैं, अपनी जगह किसी चुम्बक
की तरह। न जाने कितनी
सभ्यताएं यहाँ उजड़ी
और बसी, कुछ
अज्ञात मुख
नेपथ्य
में
रहे विलीन, कुछ चेहरे अकारण ही बने -
कालजयी, युग के साथ बदलते रहे
इतिवृत्त कथा, प्रस्तर काल
से ले कर सम्प्रति पहर
तक, वही अदम्य
जिजीविषा,
वही
जन्म से ले कर मृत बिंदु तक असमाप्त
जीवन की व्यथा, करने दें नियति
को पीछा, जहाँ तक वो चाहे,
किसी शातिर आखेटक
की तरह, कुछ
पत्थर हैं,
जो
समय को भी रोक लेते हैं, अपनी जगह
किसी चुम्बक की तरह।
* *
- - शांतनु सान्याल
28 मार्च, 2021
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२९-०३-२०२१) को 'एक दिन छुट्टी वाला'(चर्चा अंक-४०२०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं। अनीता सैनी
हटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं। दिव्या अग्रवाल
जवाब देंहटाएंभले ही नियति किसी शिकारी की तरह आदि से अनंत तक कितना भी पीछा करे दृढ़ इच्छा शक्ति का रूप धरी कुछ बाधाओं के आगे उसे भी अपना रास्ता बदलना ही पड़ता है।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ सर!
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं। जो मेरा मन कहे (www.yashpath.com)
हटाएंबहुत खूब...होली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं। उषा किरण
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं। डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हटाएंसमय को रोकने की क्षमता भी लगनशील में ही होती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति है आपकी।
शब्दसज्ज़ा प्रस्तुति भी मनभावन। बधाई।
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं। ऋता शेखर 'मधु'
हटाएंजिजीविषा,
जवाब देंहटाएंवही
जन्म से ले कर मृत बिंदु तक असमाप्त
जीवन की व्यथा, करने दें नियति
को पीछा, जहाँ तक वो चाहे,
किसी शातिर आखेटक
की तरह, कुछ
पत्थर हैं,
जो
समय को भी रोक लेते हैं, अपनी जगह
किसी चुम्बक की तरह।... बहुत सुंदर भावपूर्ण सारगर्भित अभिव्यक्ति ।
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं। Jigyasa Singh
हटाएंशानदार👌
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं🌻♥️
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकिसी एक
जवाब देंहटाएंदिन
मैं ज़रूर उभर आऊंगा आत्म कृत तक्षक
की तरह,
मन में न जाने किस तरह कि भावनाएं जन्म लेती रहती हैं .. गहन अभिव्यक्ति .
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। संगीता स्वरुप ( गीत )
हटाएंदार्शनिक भाव से परिपूर्ण सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🙏🌹
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं।Dr (Miss) Sharad Singh
हटाएंआदरणीय शांतनु जी, रचना के द्वारा दार्शनिक अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद!
जवाब देंहटाएंकरने दें नियति
को पीछा, जहाँ तक वो चाहे,
किसी शातिर आखेटक
की तरह, कुछ
पत्थर हैं,
जो
समय को भी रोक लेते हैं, अपनी जगह
किसी चुम्बक की तरह।
होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ!--ब्रजेंद्रनाथ
आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह। होली की शुभकामनाएं।Marmagya - know the inner self
हटाएंगहन अनुभूतियों की प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं | बहुत बहुत सुन्दर | मन भीतर तक खुश है |
जवाब देंहटाएंआपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।
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