दृष्टि रेखा के समान्तराल, हर चीज़ है
वेगवान, उद्वेग व उच्छ्वास के
बहुत नीचे बहते हैं कहीं,
अनगिनत ख़ामोश
जलयान, उड़ते
हैं खुले वक्ष
के ऊपर
कुछ
मांसभक्षी परिंदे, ठीक उसके ऊपर हैं
कुछ प्रजातान्त्रिक विमान, दृष्टि
रेखा के समान्तराल, हर चीज़
है वेगवान। उस महीन
आंचल के नीचे
है मातृत्व
स्रोत,
और अंतहीन बियाबान, खण्डहर पार
बसते हैं कहीं, मौन लोरियों के
जन्म स्थान, कुछ टूटे हुए
पुरातन मंदिर, बांस
वन, कुछ बूंद
रक्त के
सूखे
निशान, सुदूर सीमान्त पर उड़ रहे हैं
गिद्धों के झुण्ड, कोई दिखाए
कहाँ है, निर्मेघ नीलाभ
आसमान, कल भी
वही जंग लगी
प्रतिश्रुति,
आज
भी वो ले कर आए हैं, वही घिसी पिटी
अनुभूति, एक छाया जो अपने
गोद में लिए बैठी है, दूसरी
परछाई, छिंद का पेड़
और विषण्ण
शुक्र तारा,
सभी
हैं, जैसे जड़वत अपनी जगह, मेघ आ
कर गुज़र जाते हैं, रास्ते हो चले
हैं, निःशब्द अजगर की तरह
स्थिर व सुनसान, स्नेह
अंचल रोके रखता
है जीवन का
अवसान।
दृष्टि
रेखा के समान्तराल, हर चीज़ है वेगवान।
* *
- - शांतनु सान्याल
23 मार्च, 2021
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जवाब देंहटाएं--
मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबेहद हृदयस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंसार्थक सृजन...
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंलाजवाब🌻
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत सुंदर अतुकांत रचना। इसे इस क्रम में सजाकर मुक्त छंद बनाया जा सकता है। उस रचना की यही खूबसूरती है।
जवाब देंहटाएंरास्ते हो चले हैं,
निःशब्द अजगर की तरह
स्थिर व सुनसान।
स्नेह अंचल रोके रखता है
जीवन का अवसान।
दृष्टि रेखा के समान्तराल,
हर चीज़ है वेगवान।-- ब्रजेंद्रनाथ
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत गहन और संवेदना से भरे भाव ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह। मन की वीणा
हटाएंमन को भीतर तक छूने वाली रचना , बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंहृदयस्पर्शी रचना बधाई
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
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