02 मार्च, 2021

आलोक वर्षों के बाद - -

न जाने कितने आलोक वर्ष पार हुए,
तब जा के कहीं, मैंने तुम्हें है
पाया, न जाने कितने
जन्म - जन्मांतर
के बाद नियति
ने हमें
फिर से है मिलाया, रहने दो खड़े -
अतीत के ठूंठ अपनी जगह,
अर्ध निमग्न पेड़ों की
तरह ऊर्ध्वमुखी,
हर कोई
होना
चाहे इस दुनिया में ज़रा सा सुखी,
तुम्हारे नेह स्पर्श ने ही, उजाड़
धरा के बीच कोमल पुष्प
है खिलाया, न जाने
कितने जन्म -
जन्मांतर
के बाद
 नियति ने हमें फिर से है मिलाया।
महाकाश के उस छाया पथ में,
जहाँ बहते हैं, अविरल
आलोक स्रोत,
उसी तट
पर
कहीं मिले हैं हम परस्पर जिस तरह
से मिलते हों, ज्योत से अनंत
ज्योत, उसी मिलन बिंदु
में कहीं हमने, युगल
कंठों से प्रणय
गीत है
गाया,
न जाने कितने जन्म - जन्मांतर - -
के बाद नियति ने हमें फिर
से है मिलाया।

* *
- - शांतनु सान्याल
 
 
 



11 टिप्‍पणियां:

  1. जादुई प्रेम कथा को उद्घाटित करती रचना निशब्द कर गई शांतनु जी। मनमुग्ध अवस्था में मानो उद्गार कल -कल प्रवाहमान हैं। हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।

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  3. सुन्दर प्रेम से भरपूर पंक्तियाँ...सच में कितनी मुश्किल से हमें प्रेम करने वाले मिलते हैं.....

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  4. आपके शब्दों में जादू है शांतनु जी । मंत्रमुग्ध कर देते हैं पढ़ने वाले को ।

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