10 मार्च, 2021

अक्स अदाकारी - -

अपने पंख खोले बिना कोई
कैसे उड़ान देखेगा, ख़ुद
में बंद हो कर, कोई
कैसे आसमान
देखेगा,  
चार
दीवार तक सिमट कर रह
न जाए ज़िन्दगी, ख़ुद
से बाहर निकलो,
तभी सारा
जहान
देखेगा, तुम्हारे अंदर की -
ख़ूबसूरती से, किसे
क्या लेना, चेहरे
की नक़ली
रंगत
को हर एक इंसान देखेगा,
मा'शरा कभी जिस की
बातों पर यक़ीं
करता था,
वक़्त
बदलते ही, उसी शख़्स -
की ज़बान देखेगा,
काज़ी ए शहर
है, दुनिया
में मा'रूफ़

मशहूर, सब से पहले -
तुम्हारी,जात ओ
ख़ानदान
देखेगा,
उन
सभी चेहरों में कहीं छुपे
हैं, अक्स अदाकारी,
ज़माना बहुत
ख़ुश होगा
जब
तुम्हें परेशान देखेगा - -

* *
- - शांतनु सान्याल



 
 

 



12 टिप्‍पणियां:

  1. उन
    सभी चेहरों में कहीं छुपे
    हैं, अक्स अदाकारी,
    ज़माना बहुत
    ख़ुश होगा
    जब
    तुम्हें परेशान देखेगा - -आज के सच को कह दिया है । बिना पंखों को खोले उड़ान संभव ही नहीं है ।

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  2. बहुत ख़ूब।
    पढ़ के आनन्द आ गया। सच तो कड़वा है ही।
    मेरी नई रचना

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  3. सच बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता
    खुद मरना पड़ता है, खपना पड़ता है

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  4. आपने जो कहा दो टूक कहा शांतनु जी । जो सच है, वो सच है; क्या शक़ है इसमें ?

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  5. बहुत सुन्दर रचना।
    शिव त्रयोदशी की बहुत-बहुत बधाई हो।

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  6. खुद से बाहर निकल कर देखो बहुत बहुत सुंदर हृदय स्पर्शी। सृजन

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