शब्द पहेलियों की तरह कभी ऊपर और
कभी नीचे, मिलन बिंदुओं में कहीं
उभर आते हैं, कुछ स्वस्फूर्त
इबारतें, जिनकी हम
अक्सर कल्पना
नहीं करते,
कुछ
लोग जीवन पथ में अचानक स्तम्भित
कर जाते हैं, रह जाती हैं, देर तक
ज़ेहन में उनकी असमाप्त
बातें, मिलन बिंदुओं
में कहीं उभर
आते हैं,
कुछ
स्वस्फूर्त इबारतें। कई बार बहुत कुछ -
समझ कर भी हम, नासमझी का
करते हैं भान, दरअसल, उन
पलों में हम सींचते हैं
झुलसे हुए, दिल
के बाग़ान,
बहोत
मुश्किल से बदलती हैं, ख़ुद को छलने
की आदतें, मिलन बिंदुओं में कहीं
उभर आते हैं, कुछ स्वस्फूर्त
इबारतें। इसी पुरातन
ग्रह के हम सभी
हैं एकात्म
प्राणी,
वही साझा बर्बर जीवन अभी तक है -
हमारे अन्तर्निहित, सिर्फ़ कोस
कोस बदलता जाए पोशाक
और वाणी, कुछ अंधेरे
के भूमिगत स्पृहा,
कुछ उजाले
की सभ्य
चाहतें,
मिलन बिंदुओं में कहीं उभर आते हैं, -
कुछ स्वस्फूर्त इबारतें।
* *
- - शांतनु सान्याल
19 मार्च, 2021
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बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंकई बार बहुत कुछ -
जवाब देंहटाएंसमझ कर भी हम, नासमझी का
करते हैं भान, दरअसल, उन
पलों में हम सींचते हैं
झुलसे हुए, दिल
के बाग़ान,
मन के भावों को सार्थक शब्द दिए हैं ....
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंउम्दा रचना
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंकई बार बहुत कुछ -
जवाब देंहटाएंसमझ कर भी हम, नासमझी का
करते हैं भान, दरअसल, उन
पलों में हम सींचते हैं
झुलसे हुए, दिल
के बाग़ान,
सुन्दर अभिव्यक्ति....
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
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