23 जनवरी, 2021

आदान प्रदान - -

कोई ज़रूरी नहीं कि हर चीज़
का विनिमय हो, उधार ले
जाने वाले शख़्स से
पूर्व परिचय हो,
उसने जाते
हुए
मुझे कुछ यूँ देखा कि उसे मैं,
हद ए नज़र तक ख़ामोश
देखता ही रह गया,  
आवश्यक
नहीं,
इस हार में उसकी विजय हो,
प्रयोजन जो भी हो उसने
मुझे इस्तेमाल
किया, सच
ये भी
है, कि मेरे बग़ैर जीना मुहाल
किया, वक़्त ही बताएगा
उसके दिल में जो भी
आशय हो, समय
का घिसाव
उतार
देता है गहनतम कलई, लाख
कोशिश कर ले कोई, चेहरा
ठीक होता नहीं, ज़रूरी
नहीं हर पतझड़  के
बाद मौसम
मधुमय
हो।
कोई ज़रूरी नहीं कि हर चीज़
का विनिमय
हो।

* *
- - शांतनु सान्याल



16 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..अप्रतिम सृजन ।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 24 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. जरूरी नहीं कि हर पतझड़ के बाद मौसम मधुमय हो। बहुत खूब। बहुत बढ़िया। आपको बधाई। सादर।

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  4. समय
    का घिसाव
    उतार
    देता है गहनतम कलई, लाख
    कोशिश कर ले कोई, चेहरा
    ठीक होता नहीं, ज़रूरी
    नहीं हर पतझड़ के
    बाद मौसम
    मधुमय हो..सारगर्भित रचना मन में उतरती हुई..

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