01 जनवरी, 2021

पारदर्शी शब्द - -

तृष्णा पार की अनुभूतियों में, अब
भी बाक़ी हैं कुछ मृग मरीचिका,
खिड़की पार की दुनिया में
तैरते हैं, कुछ पारदर्शी
शब्द, धुंध की
गहराइयों
में वो
खोजते हैं गिरते हुए बूंदों की भाषा,
सहसा, वो सभी अधूरी चाहतें
हो जाती हैं, गहन रात की
निर्भीक नायिका, अब
भी बाक़ी हैं जीवन
में, कुछ मृग -
मरीचिका।
सारे देह
में
उभरते हैं, तित्तिभ के नील रंगी
आलोक, कोई रख जाता है
चुपचाप, नीम के कुछ
पत्ते, मृत तितली
के सिरहाने,
जीवन
के
प्रयोगशाला में अचानक जागती है
अंतिम पहर की, अदृश्य कोई
अभिसारिका, अब भी
बाक़ी हैं, रात के
मरू वक्षस्थल
में, कुछ
रंगीन
मृग मरीचिका। मैं दोनों हाथ बढ़ाता
हूँ की छू सकूँ, अभिशाप मुक्त
अनुभूति को, पुनः उड़ा पाऊं
झरित पंखों की स्मृति
को, लेकिन जैसा
हम चाहते हैं
वैसा कहाँ
होता है,
बहुत जल्दी खिड़की के उस पार गिर
जाते हैं धुंध के यवनिका, अब
पहले से कहीं अधिक गाढ़
हो चले हैं, अंधकार
पलों के मृग -
मरीचिका।

* *
- - शांतनु सान्याल  

18 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. ह्रदय तल से आभार - - नमन सह। नूतन वर्ष की शुभकामनाएं।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (03-01-2021) को   "हो सबका कल्याण"   (चर्चा अंक-3935)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    नववर्ष-2021 की मंगल कामनाओं के साथ-   
    हार्दिक शुभकामनाएँ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. ह्रदय तल से आभार - - नमन सह। नूतन वर्ष की शुभकामनाएं।

      हटाएं

  3. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    03/01/2021 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......


    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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    1. ह्रदय तल से आभार - - नमन सह। नूतन वर्ष की शुभकामनाएं।

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  4. उत्तर
    1. ह्रदय तल से आभार - - नमन सह। नूतन वर्ष की शुभकामनाएं।

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  5. कमाल की रचना ... गहरा एहसास लिए ...
    नव वर्ष मंगलमय हो ...

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    1. ह्रदय तल से आभार - - नमन सह। नूतन वर्ष की शुभकामनाएं।

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  6. आपकी रचना पढ़कर सिहरन सी होती है

    तित्तिभ के नील रंगी
    आलोक, कोई रख जाता है
    चुपचाप, नीम के कुछ
    पत्ते, मृत तितली

    –उफ्फ्फ

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    उत्तर
    1. ह्रदय तल से आभार - - नमन सह। नूतन वर्ष की शुभकामनाएं।

      हटाएं
  7. गज़ब व्यंजना होती है आपकी मुग्ध करता सृजन।
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आपको एवं आपके समस्त परिवार को।
    सादर।

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