परित्यक्त मंदिर के खंडहर, कुछ
टूटी हुई टेराकोटा की मूर्तियां,
पाटे हुए प्राचीन जल कूप,
जिस के आसपास
आबाद है यूँ तो
पत्थरों का
शहर,
विलुप्त नदी के तलाश में मिले कुछ
परित्यक्त मंदिर के खंडहर । बर्बर
आतताई आए, नगर लूटा, घर
जलाए, तलवार के बल से
धर्म बदला, मंदिरों को
तोड़ कर अपने
ईश्वर का घर
बनाया,
लेकिन पुरातन संस्कृति रही अपनी
जगह अजर अमर, विलुप्त नदी
के तलाश में मिले कुछ
परित्यक्त मंदिर के
खंडहर । आज
भी वही प्रथा
है जीवित
वही
क़त्ल ओर ग़ारत, आगज़नी, नारियों
पर अमानवीय अत्याचार, सामूहिक
रक्त पिपासा, वही पैशाचिक
वीभत्स अवतार, फिर भी
सीने पर शान्तिदूत का
तमगा लगाए फिरते
हैं, सामाजिक
समानता
की बात
करते हैं, चेहरे पर असत्य अमृत का
लेप, दिल में भरा रहता है ज़हर
ही ज़हर, विलुप्त नदी के
तलाश में मिले कुछ
परित्यक्त मंदिर
के खंडहर ।
आज भी
ज़िन्दा
हैं हज़ारों जयचंद हमारे अस्तित्व के
अंदर ।
- - शांतनु सान्याल