09 मार्च, 2023

पड़ौसी इंसान - -

रूह ठहरा ख़ानाबदोश, कभी आबाद न होगा,
दायरा ए इश्क़ से ख़ुद, कभी आज़ाद न होगा,

हज़ार बार उड़ें वादियों में, तितलियों के साथ,
बेइंतहा चाहनेवाला, कोई भी मेरे बाद न होगा,

किसी अपाहिज का हाथ कभी थाम के देखिए,
इस से बेहतरीन पेश ए ख़ुदा फ़रियाद न होगा,

जो ताउम्र काफ़िर ओ मोमिन तलक रहे उलझे,
पड़ौसी इंसान का नाम, उसे कभी याद न होगा,

शख़्स जो बांटे दान मज़हब की रौशनी देख कर,
उस से बढ़ कर दुनिया में कोई जल्लाद न होगा,  
* *
- - शांतनु सान्याल
 

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 10 मार्च 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. शख़्स जो बांटे दान मज़हब की रौशनी देख कर,
    उस से बढ़ कर दुनिया में कोई जल्लाद न होगा
    बहुत सटीक...
    लाजवाब सृजन ।

    जवाब देंहटाएं

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