रूह ठहरा ख़ानाबदोश, कभी आबाद न होगा,
दायरा ए इश्क़ से ख़ुद, कभी आज़ाद न होगा,
हज़ार बार उड़ें वादियों में, तितलियों के साथ,
बेइंतहा चाहनेवाला, कोई भी मेरे बाद न होगा,
किसी अपाहिज का हाथ कभी थाम के देखिए,
इस से बेहतरीन पेश ए ख़ुदा फ़रियाद न होगा,
जो ताउम्र काफ़िर ओ मोमिन तलक रहे उलझे,
पड़ौसी इंसान का नाम, उसे कभी याद न होगा,
शख़्स जो बांटे दान मज़हब की रौशनी देख कर,
उस से बढ़ कर दुनिया में कोई जल्लाद न होगा,
* *
- - शांतनु सान्याल
09 मार्च, 2023
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 10 मार्च 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
शख़्स जो बांटे दान मज़हब की रौशनी देख कर,
जवाब देंहटाएंउस से बढ़ कर दुनिया में कोई जल्लाद न होगा
बहुत सटीक...
लाजवाब सृजन ।
आपका हृदय तल से आभार ।
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