शून्यता की यात्रा अनंत
है एक गहनता का
एहसास, कभी
अनगिनत
हो कर
भी
कुछ भी नहीं अपने पास,
जीवन वृत्त घूमता रहता
है, अपने आप में
अंतर्लीन,
प्रणय
खोह
से हो कर हृदय खोजता
है हलकी
उजास,
ऋतुचक्र उतार लेता है
ऊंचे दरख़्तों के
हरित पोशाक,
झुर्रियों के
उभरते
ही,
चेहरे से रूठ जाता है
मधुमास,
जनस्रोत में रह कर भी
आदमी होता है
बेहद निःसंग,
दरअसल
अपने
आप से ही नहीं मिलता
हमें अवकाश,
कौन किस का दुःख दर्द
बांटे सभी हैं व्यस्त
प्रतियोगी, इक
हल्की से
लकीर
है
धूप छांव के बीच जीने की
आस,
* *
- - शांतनु सान्याल
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 30 मार्च 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
आपका असीम आभार आदरणीय ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरुवार (30-03-2023) को "रामनवमी : श्रीराम जन्मोत्सव" (चर्चा अंक 4651) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका असीम आभार आदरणीय ।
हटाएंजीवन की वास्तविकता बताती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआपका असीम आभार आदरणीय ।
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