इस एहसास में, कितने दीये जल उठे,
गुज़रे हैं वो बहुत क़रीब से अभी अभी,
देखा है टूटते तारों, को बहुत दूर से -
मिले हैं वो बड़े नसीब से अभी अभी,
महके हैं क़फ़स के दर ओ दीवार - -
आए कोई पार दहलीज़ से अभी अभी,
फिर सजाए कोई ख़्वाब आँखों में - -
देखा है उसने, नज़दीक से अभी अभी,
बहुत मुश्किल था, आह भरना मेरा -
मिले है हम ज़िन्दगी से, अभी अभी,
हर फूल लगे ख़ूबसूरत दिल की तरह,
भरा है जिस्म, ताज़गी से अभी अभी,
लबरेज़ हैं, ख्वाहिशात छलकने को - -
राहत मिली है तिश्नगी से अभी अभी ,
बहकते हैं, क़दम होश न हो जाए गुम,
मिले हैं जान ए अज़ीज़ से अभी अभी।
- - शांतनु सान्याल
26 मार्च, 2023
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बहुत सुन्दर एहसास ...
जवाब देंहटाएंthank sangeeta ji - love and regards with respect
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