25 मार्च, 2023

आत्म परिचय

पथिक कोई देर तक तकता रहा शून्य आकाश, 
निहारिकाओं का अभिसार, उल्काओं का 
पतन, सुरसरी का बिखराव, स्वजनों 
का क्रंदन, छूटता रहा पैतृक
वास स्थान, नभ पथ 
के मेघ दे न सके 
शीतलता,
आत्म तृषा लिए वो एकाकी यात्री करता रहा -
विचरण, मायावी रात्रि मुक्त कर न 
सकी उसे, या स्वयं ही जुड़ता 
गया किसी इंद्रजालिक
सम्मोहन में 
अविराम,
निश्चल देह पड़ा है जैसे वसुंधरा के गोद में, व 
जीवन भर रहा यायावर, भटकता रहा 
बबूल वन, मरुस्थल पार, 
किसी अविदित 
मरूद्यान 
की खोज या आत्म प्रवंचना, सम्पूर्ण रात्रि मन 
करता रहा सत्य अनुसंधान, सिर्फ़
कर न सका प्रतीक्षारत 
अंतर्मन की वो 
तलाश,
अपूर्ण थी, अपूर्ण ही रही हृदय की वो गहन प्यास।

- शांतनु सान्याल 
 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 मार्च 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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