ख़ामोश दरवेश की तरह अपनी आंखों में दुआ रखिए,
नीले आसमां की तरह, दिल का दरवाज़ा खुला रखिए,
बढ़ती दूरियों के साथ वाबस्तगी भी धुंधले हो जाते हैं,
दिल न सही यूँ ही, हाथ मिलाने का सिलसिला रखिए,
फ़सल ए बहार की है मजलिस बिखरे ज़रा रंग ए जुनूं,
ज़िन्दगी है मुख़्तसर, दिल में मुहोब्बत बेइंतहा रखिए,
आइने को न रहे कोई अफ़सोस, ख़ुद को यूँ संवारा करें,
मुहब्बत के ख़त में वादी ए गुल का इक हासिया रखिए,
कच्चे रंगों का यक़ीन है बेमानी जाने कब ये उतर जाए,
राहत ए जां महसूस हो, यूँ मीठी लफ़्ज़ों की दवा रखिए,
* *
- - शांतनु सान्याल
06 मार्च, 2023
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 07 मार्च 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपका हृदय तल से आभार ।
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