10 मार्च, 2023

पोशीदा हाथ - -

बर ख़िलाफ़ ख्वाहिश, ज़िन्दगी बदल देते हैं हालात,
अभी अभी थी तेज़ धूप, अब है बेमौसम की बरसात,

इक वक़्त ऐसा था, कि हद ए नज़र सिर्फ़ पैरोकार थे,
अब पीछे लौट कर देखता हूँ, तो कोई नहीं मेरे साथ,

साया की तरह, अहद ए वफ़ा की दुहाई रहने दीजिए,
उम्रभर का साथी कोई नहीं, ये सब कहने की है बात,

न जाने कहाँ कहाँ लोग जाते हैं, गुनाह धोने के लिए,
अक्स है धुंधला, मुमकिन नहीं शीशे से पाना निजात,

इक पोशीदा वजूद के हाथ हैं तेरे गर्दन में भी हाकिम,
भलाई इसी में है कि छोड़ दे किसी बेगुनाह का हाथ ।
* *
- - शांतनु सान्याल  

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