बेनूर आँखों को है, आतिश रंगी उजाले का इंतज़ार,
जेब रहे ख़ाली तो रंज न करें, ख़्वाब ख़रीदेंगे उधार,
चाँद उतरता है नीम् शब, ज़र्द खिड़की के आसपास,
फ़रेब ए अब्र में ज़िंदगी ढूंढती है ख़ामोश सा किनार,
यूँ निगाहों से गुज़र कर, रूह तलक उतरना तुम्हारा,
बियाबां की ख़ुश्क दुनिया में बहती हो गोया जलधार,
एक दिलकश एहसास, जो उमर बढ़ा जाए सुबह तक,
शमा बुझ चुकी, उठने को है, आसमानी मीना बाज़ार,
इक बंद लिफ़ाफ़ा है ज़िन्दगी, ख़ुश्बुओं से भीगी हुई,
खोलने की ज़रूरत है, बिखरने को हैं जज़्बात बेशुमार,
* *
- - शांतनु सान्याल
15 मार्च, 2023
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 16 मार्च 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
आपका हृदय तल से आभार ।
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआपका हृदय तल से आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय तल से आभार ।
हटाएंइक बंद लिफ़ाफ़ा है ज़िन्दगी, ख़ुश्बुओं से भीगी हुई,
जवाब देंहटाएंखोलने की ज़रूरत है, बिखरने को हैं जज़्बात बेशुमार
अतिसुन्दर
आपका हृदय तल से आभार ।
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