25 मार्च, 2023

आत्म अधीर

अंतर्मन रंग डाली उसने, फिर  देह  पर 
चाहे रंगना गुलाल अबीर, 

क्षण भंगुर जीवन, चाहत  बेहिसाब,  न 
टूटे कहीं कांच सदृश शरीर,
  
मकरंद मदहोश फिरे, कमनीय  पलाश
छू जाय प्रेम अगन गंभीर, 

गोपियाँ  खोजें गली गली, राधा कृष्ण 
बसे कदम कुञ्ज  जमुना तीर, 

पूर्ण शशि, बरसे तन मन में प्रणय सुधा,
कस्तूरी मृग सम आत्म अधीर,  

- शांतनु सान्याल



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