21 मार्च, 2023

अंधा कुआं - -

दूर तक, हद ए नज़र, बस धुआं धुआं सा है,
क़रीब हैं फिर भी, दरमियानी फ़ासला सा है,

पिघलती जा रही है मोम की तरह ज़िन्दगी,
इंतज़ार इक थके हुए अपाहिज कारवां सा है,

इक बर्फ़ की नदी, अपनी जगह है ठहरी हुई,
जिस्म के अंदरूनी इक कांटेदार ज़िंदां सा है,

आँखों से ओझल रहे सभी जज़्बात के उड़ान,
हाल ए दिल, परवाज़ भूला हुआ परिंदा सा है,

कब आई फ़स्ल ए बहार, कब खिले गुलशन,
मेरा वजूद, इक दूर दराज़ बसे बासिंदा सा है,

वक़्त के दायरे में, घूमते रहते हैं  तमाशबीन,
मुहोब्बत का फ़लसफ़ा, इक अंधे कुआं सा है,
 
दूर तक, हद ए नज़र, बस धुआं - धुआं सा है,
* *
- - शांतनु सान्याल
 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 मार्च 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  2. इस धुएं के छंटने का इंतजार रहेगा. नमस्ते.

    जवाब देंहटाएं

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