20 मार्च, 2023

हाकिम है लापता - -

बिखरी है लालिमा क्षितिज पार शाम हो रही है,
ज़िंदगी यूँ क़िस्तों में, धीरे धीरे तमाम हो रही है,
 
आधी रात को, सभी रास्ते रेगिस्तान हो जाएंगे,
गली कूचों में बेवजह शबनम बदनाम हो रही है,

इस महानगर के नीचे आबाद है, दूसरा शहर भी,
ज़मीं से फ़लक तक हर एक शै नीलाम हो रही है,

अजीब सी तृष्णा है सुलगते सीने के बहुत अंदर,
हाकिम है लापता राहज़नी सर ए आम हो रही है,
* *
- - शांतनु सान्याल
 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 21 मार्च 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. इस महानगर के नीचे आबाद है, दूसरा शहर भी,
    ज़मीं से फ़लक तक हर एक शै नीलाम हो रही है,
    गहरी बात.. कम शब्दों में बड़ी बात।
    सार्थक रचना के लिए बधाई आदरणीय।

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  4. महानगरों की त्रासदी पर सशक्त बयान

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  5. लापता हाकिम को ढूँढा जाए
    इस उलझन को सुलझाया जाए

    नवसंवत्सर समाधान खोजने का वर्ष साबित हो ! शुभकामना हमको और आपको !

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