24 मार्च, 2023

जीने की ख़्वाहिश - -

किस ने देखा है मृत्यु पार की दुनिया,
हज़ार सज़ाओं के साथ भी जीने
की ख़्वाहिश कभी ख़तम
नहीं होती, रास्ते
ख़ूबसूरत हों
या फिर
डरावने, ज़िंदगी को हर एक सुरंग से
गुज़रना होता है, ज़ख्मों से भरा
जिस्म ले कर सुबह की ओर
बढ़ना होता है, रात लंबी
हो या मुख़्तसर,
उजाले की
गुंजाइश
कभी कम नहीं होती, हज़ार सज़ाओं
के साथ भी जीने की ख़्वाहिश
कभी ख़तम नहीं होती ।
जज़्ब करने की
शिद्दत बढ़
जाती है
दर्द
सहते सहते, हज़ार रुकावटें रोक नहीं
पाते बहाव को, सागर तक नदी
पहुँच ही जाती है बहते बहते,
सुलगते रहते हैं जज़्बात
किसी आग्नेय गिरि
की तरह, जीने
की फ़रमाइश
कभी नम
नहीं होती,  हज़ार सज़ाओं के साथ
भी जीने की ख़्वाहिश कभी
ख़तम नहीं होती ।
* *
- - शांतनु सान्याल

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-03-2023) को  "चैत्र नवरात्र"   (चर्चा अंक 4650)   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. जीने की ख़्वाहिश कभी
    ख़तम नहीं होती । सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  3. संभवतः जिजीविषा इसी का नाम है

    जवाब देंहटाएं

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