दुःख को हर हाल में ख़ारिज़ करो,
जितना सीने से उसे जकड़ोगे
उतना ही वो, अंदर ही अंदर
जड़ें फैलाता जाएगा,
और कर जाएगा
सर्वनाश,
मुझे
ज्ञात है, दुःखों से बचना भी इतना
सहज नहीं, फिर भी अनुतापी
छद्मवेश से निकल कर,
पाप पुण्य के वृत्त
से बच कर,
ख़ुद में
भरो
आनंद प्रकाश, जो भी उपलब्ध
हैं जीवन के पल उन्हें समेटो
हथेलियों में, उछालो
उन्हें, सागर तट
में, उड़ा दो
हवाओं
में,
निरीह शिशु के रंगीन फुग्गों की
तरह, देखो ज़रा कितनी
हसरत भरी नज़र से
देख चला है तुम्हें
नीलाकाश,
आनंद
के
अंदर ही है सहस्र जीवन, आनंद के
अतल में है मृत्यु का वास, फिर
भी हे जीवन, तुम्हें छू लूँ
एक बार जी भर के,
फिर हो जाऊं
क्यों न,
कोई
पाषाण युगीन, विस्मृत इतिहास !
* *
- - शांतनु सान्याल
25 मार्च, 2021
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सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 26-03-2021) को
"वासन्ती परिधान पहनकर, खिलता फागुन आया" (चर्चा अंक- 4017) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंनिरीह शिशु के रंगीन फुग्गों की
जवाब देंहटाएंतरह, देखो ज़रा कितनी
हसरत भरी नज़र से
देख चला है तुम्हें
नीलाकाश,
लाजवाब
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 25 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंचिंता-फ़िक्र जीवन दूभर कर देते हैं ! पर इनसे छुटकारा पाना भी कहाँ आसान है
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंगवेषणआ से युक्त जीवन के विभिन्न पहलुओं को उद्घाटित करती सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंदुःखों से बचना भी इतना
जवाब देंहटाएंसहज नहीं, फिर भी अनुतापी
छद्मवेश से निकल कर,..सच कहा आपने।
बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन हमेशा की तरह।
सादर
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंजी भर के जी लें,सबकुछ भूल कर यही तो इन्सान नहीं कर पाता.
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंजो भी उपलब्ध हैं जीवन के पल, उन्हें समेटो | ठीक कहा शांतनु जी आपने । बहुत अच्छी रचना है यह आपकी - अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली ।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंमुहब्बत में मैंने तो एक सबक पाया है
जवाब देंहटाएंवक़्त और आदमी कभी वफ़ा नहीं करते |
सार्थक सन्देश ...
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय आशावादी रचना |
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंजीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकाश डालती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंहृदय तल को स्पर्श करती अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंप्रणाम शांतनु जी, होली की बहुत बहुत शुभकामनायें...एक उत्कृष्ट रचना पढ़वाने के लिए आपका धन्यवाद...बहुत खूब लिखा कि ..;निरीह शिशु के रंगीन फुग्गों की
जवाब देंहटाएंतरह, देखो ज़रा कितनी
हसरत भरी नज़र से
देख चला है तुम्हें
नीलाकाश,
आनंद
के
अंदर ही है सहस्र जीवन...वाह आनंद के अंदर ही है सहस्र जीवन..;
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबेहतरीन कविता...
जवाब देंहटाएंगहन चिन्तन का प्रतिबिम्ब है यह
साधुवाद 🙏
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंदु:ख को हर हाल में खारिज करना ही सही है। गहन जीवन दर्शन को समेटे इस सृजन के लिए आपको शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंआदरणीय,
जवाब देंहटाएंकृपया "ग़ज़लयात्रा" की इस लिंक पर भी पधार कर मेरा उत्साहवर्धन करने का कष्ट करें....
फाग गाता है ईसुरी जंगल
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
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