खण्डित देह की अंतर्यात्रा यथावत जारी है,
भस्म से उठ कर, फिर लड़ने की तैयारी है,
गहनतम अंतःस्थ को बहिः प्रकाश चाहिए,
जन्म - मृत्यु से परे, निश्चित जीत हमारी है,
बाण शिखरों पर, धर्म - समर है पुनर्जागृत,
अनादिकाल से, मातृभूमि सभी पर भारी है,
महाकाल के त्रि नेत्र से फिर हो अभ्युत्थान,
हर युग में हिंस्र बर्बरता मनुष्यता से हारी है,
एक छत्र हों हम वर्तमान काल का है आग्रह,
आसन्न प्रजन्म के लिए, ये कल्याणकारी है,
* *
- - शांतनु सान्याल
31 जनवरी, 2023
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