24 जनवरी, 2023

अब के मधुमास में - -

नीलाभ यामिनी हूँ मैं, तुम पूर्ण चन्द्रमा,
बसे हो प्राण वायु सम, मम निःश्वास में,

आम्र कुञ्ज महके लिए हिय में मधु गंध,
सजल स्वप्न सजे, आगंतुक मधुमास में,

जीवन चक्र अनवरत घूमे प्रणय अक्ष पर,
मधुरिम रस भर चले हैं अंतरंग पलाश में,

तर्क - वितर्क से परे है आस्था की दुनिया,
मिट्टी प्रतिमा भी लगे जागृत, विश्वास में,

अंक विनिमय का क्रंदन रहे अपनी जगह,
अनंत सुख मिले त्वम् मधुमय आभास में,

माया मृग ही सही स्वप्न रहे जीवित सदा,
चलते रहें हम निरंतर तिमिर से प्रकाश में,
* *
- - शांतनु सान्याल

   
 
 
 






 

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