28 फ़रवरी, 2023

रंगों की दुनिया - -

जीवन के रंग अनेक कभी गहरा, कभी कच्चा,
रंगीन चेहरों के पीछे छुपा रहे निरीह सा बच्चा,

एक ही सांचे में ढले सभी, समरूप है माटी रंग,
अपना अपना संदर्श क्या बुरा और क्या अच्छा,

चाहत की डोर खींचे लिए जाए ख़ुद से बहुत दूर,
संजोने की चाह में सरकता जाए प्रेम का लच्छा,

जनम - मरण के अगोचर में है, एक भिन्न प्रदेश,
मौन हृदय सोचे, कौन है झूठा कौन भला सच्चा,

अमरबेल सम बढ़ती जाए, नेह की नरम कड़ियाँ,
अप्रत्याशित जब टूटें, स्वप्निल पल खाएं गच्चा,
* *
- - शांतनु सान्याल  
 
 

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