25 फ़रवरी, 2023

आब ए एहसास - -

पुरअसरार रहे अंदाज़ ए बयां, शहर में फ़ित्नागर कम नहीं,
यूँ तो मीलों चलते रहे फिर भी ज़िन्दगी का सफ़र कम नहीं,

तारीख़ ए इश्क़ के पन्नों में ख़ुश्क गुलाब के सिवा कुछ नहीं,
दिल की अपनी है मज़बूरी, कहने को हसीन मंज़र कम नहीं,

ख़ानाबदोश की तरह भटका किए जाने किस के लिए ताउम्र,
इस दिल फ़रेब दुनिया में, यूँ तो झिलमिलाते शहर कम नहीं,

मुहाजिर परिंदों का है बसेरा, मौसम  बदलते ही लौट जाएंगे,
अनबुझ प्यास अपनी जगह, आब ए एहसास अंदर कम नहीं,
* *
- - शांतनु सान्याल

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (26-02-2023) को   "फिर से नवल निखार भरो"  (चर्चा-अंक 4643)   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past