11 फ़रवरी, 2023

बहुत कुछ हिसाब है बाक़ी - -

तूफ़ां तो गुज़र गया तबाही के तासीर हैं बाक़ी,
मुद्दतों बाद भी, ज़ेहन में कुछ तस्वीर हैं बाक़ी,

मिटाने से नहीं मिटते, दिल में लिखे अल्फ़ाज़,
ख़तूत जलने के बाद भी, कुछ तहरीर हैं बाक़ी,

क़फ़स ए इश्क़ का तर्जुबा होता है बहोत गहरा,
गुमशुदा जिस्म पर, निशान ए ज़ंजीर हैं बाक़ी,

चाँद, सितारों का डूबना है क़ुदरत का खिलौना,
स्याह रातों में, कुछ नावाक़िफ़ तनवीर हैं बाक़ी,

दामन का दायरा जो भी हो इत्मीनान ज़रूरी है,
उम्मीद से है ज़ीस्त, इंसाफ़ ए तक़दीर हैं बाक़ी,

आसान है, किसी ज़ईफ़ के गरेबान को पकड़ना,
रोज़ ए आख़िरत की अभी तेज़ शमशीर हैं बाक़ी,
* *
- - शांतनु सान्याल   
अर्थ :
ख़तूत - चिट्ठियां,  तासीर - असर, क़फ़स - क़ैद   
तनवीर - रौशनी,  ज़ीस्त - ज़िन्दगी,
ज़ईफ़ - कमज़ोर, गरेबान - गर्दन,
रोज़ ए आख़िरत - मरने के बाद का फैसला
शमशीर - तलवार,  नावाक़िफ़ - अनजान

 

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