09 फ़रवरी, 2023

अंतहीन तलाश - -

बेइंतहा जुस्तजू थी, ताहम कोई मसीहा न मिला,
बेशुमार दोस्तों में तलाशा, कोई तुझ सा न मिला,

कहने को इश्क़ ए जुनूं का कोई मशहूर कातिब था,
वरक़ दर वरक़ ढूंढा एक भी हरफ़ सुनहरा न मिला,

बहोत आसान है शोलों की तरह इन्क़लाबी दिखना,
क़रीब पहुँचने पर वहां आग तो दूर, शरारा न मिला,

ख़ाना बदर है रूह, भटकती रही मंज़िल दर मंज़िल,
ज़िन्दगी के सफ़र में, मुझ सा कोई तनहा न मिला,

मुहोब्बतें, अदावतें, इनाम ए फ़ेहरिश्त है बड़ी लम्बी,
यूँ तो चाहनेवाले कम न थे, कोई तुझ जैसा न मिला,

साहिल से मझधार का मंज़र होता है बहोत दिलकश,
टूट के भी उभार ले रौशनी ऐसा कोई सितारा न मिला,
* *
- - शांतनु सान्याल © It's subject to copyright.
अर्थ : कातिब - लिखने वाला,  शरारा - चिंगारी,
ख़ाना बदर - बेघर, अदावतें - दुश्मनी,


 







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