22 फ़रवरी, 2023

दुआओं में शामिल - -

कुछ  कहते कहते, लफ्ज़ हो गए मुहाजिर,
बूंद  बूंद आंख से टूटे, दर्द कर गए जाहिर,

इक अजीब सा सहर है, उसकी ख़मोशी में,
पल भर के लिए कर दे, रूह को भी हाज़िर,

गुमनाम सा डगर, जाता है सीने से हो कर,
गुज़रता है कोई गुमनाम मजरूह मुसाफ़िर,

हाथ हैं ख़ाली फिर भी कुछ मुतालबा कीजे,
दुआओं में हैं, शामिल मुहब्बत के अनासिर,

दुनिया अपना महसूल नहीं छोड़ती है कभी,
हर कोई छुपा होता है, अपने फ़न में माहिर,

बेइंतहा परस्तिश चाहिए, मुहोब्बत के लिए,
कहने दो, ग़र दुनिया कहती है मुझे क़ाफ़िर,
* *
- - शांतनु सान्याल
अर्थ
 मुहाजिर - प्रवासी
 सहर - जादू
 मजरूह - घायल
 मुतालबा - मांग
 अनासिर - तत्व
 महसूल - राजस्व
बेइंतहा परस्तिश - अंतहीन पूजा
क़ाफ़िर - नास्तिक

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past