16 फ़रवरी, 2023

आव्हान - -

आत्म  वृत्त से कभी ख़ुद को निकाला जाए,
परिव्राजक भावनाओं को फिर से पाला जाए,

आदमक़द आईना है लेकिन बिम्ब लघुत्तम,
स्व अहम को, सिक्के की तरह उछाला जाए,

हर व्यक्ति इस जगत में नीलकंठ नहीं होता,
कुछ बूंद प्रणय सुधा के, जीवन में डाला जाए,

अकल्पनीय नहीं होता है त्रि नेत्र का प्रस्फुटन,
झंझावृत्त से हो कर जीवन रथ निकाला जाए,

अपने - आप को सभी, हर हाल में संभालते हैं,
सार्थक बने जीवन जब गिरतों को संभाला जाए,

गरिमामय भविष्य के लिए ज़रूरी है एकत्वम् -
नव  प्रजन्मों को आग्नेयगिरि सम ढाला जाए,
* *
- - शांतनु सान्याल

 

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