07 फ़रवरी, 2021

कगार विहीन नदी - -


किसे दिखाओगे दिल के शब्दकोश
हर शख़्स समझदार नहीं
होता, हदे नज़र है
धुंध की चादर,
हर क़न्दील
वाला
मददगार नहीं होता, वक़्त मिटा
जाता है सभी दस्तख़त,
बेमक़्दार से हैं सभी
समझौते, समंदर
ओ चाँद के
बीच का
क़रारनामा, बहुधा असरदार नहीं
होता, ज़माने का चलन है,
मौसम की तरह
अचानक रूप
बदल के
आना,
सभी हैं, खड़े दरख़्त के पैरोकार, -
कोई झुके पेड़ का तरफ़दार
नहीं होता, इस फ़रेब
के बाज़ार में,
किस
जायज़, नाजायज़ की बात करते
हो, लोग वहीं ले जा के
डुबोते हैं, जहाँ ज़रा
भी डूबने का
आसार
नहीं होता, ये रस्मे ख़ुलूस की बातें,
सुनहरी हरफ़ों में हैं दर्ज, किताब
के पन्नों में, दरअसल,
बेमतलब ही हर
मिलने वाला,
यूँ ही
ख़ुशगवार नहीं होता, तुम्हारे और -
मेरे दरमियां, बहती है इक
नदी, जो दिखाई नहीं
देती, डूबना या
उभरना है
अपनी
जगह, नेह नदी का कोई भी कगार
नहीं होता, किसे दिखाओगे
दिल के शब्दकोश हर
शख़्स समझदार
नहीं होता। 


* *
- - शांतनु सान्याल
 



19 टिप्‍पणियां:

  1. नेह नदी का कोई कगार नहीं होता
    ।।।।
    एक संवेदनशील रचना ,भावुक कर गई अन्तर्मन को मेरे।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  4. नेह नदी का कोई भी कगार नहीं होता,
    किसे दिखाओगे दिल के शब्दकोश
    हर शख़्स समझदार नहीं होता।
    सदैव की भांति अन्तर्मन को छूती गहन अभिव्यक्ति । सादर नमन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. नेह नदी का कोई भी कगार
    नहीं होता, किसे दिखाओगे
    दिल के शब्दकोश हर
    शख़्स समझदार
    नहीं होता।

    बहुत ख़ूब...

    जवाब देंहटाएं
  6. वाक़ई शांतनु जी, हर शख़्स समझदार नहीं होता । आपने जो कहा, सच कहा, दिल को छू लेने वाला कहा ।

    जवाब देंहटाएं
  7. यथार्थ के धरातल पर अंकुरित एक सीख।
    सराहना से परे सृजन।

    हर क़न्दील
    वाला
    मददगार नहीं होता।...बहुत कुछ कहते चंद शब्द।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past