उस मरूद्वीप में जा कर, बुझ 
न सकी बरसों की तिश्नगी,
नमकीन झीलों को 
छू कर, बारहा 
लौट आई 
ज़िन्दगी,
यहाँ हर चीज़ है दस्तयाब, - -
कहने को है पत्थरों का 
शहर, हर सिम्त 
हैं इबादतगाह, 
फिर भी 
अधूरी रहती है बंदगी, चाँदनी 
की लहर गुम है, कहीं 
ऊंची मंज़िलों के 
ओट में,
हथेलियों से उड़ गए जुगनू,- -
बाक़ी हैं एहसासों की 
ख़ुशी, झूलते हैं 
शबनमी 
ख़्वाब, 
कटी पतंगों की कंटीली डोर से,
बहुत मुश्किल है समझना, 
मुहाजिर परिंदों की 
आवारगी, 
कितनी 
ख़ूबसूरती से लोग, निबाह जाते 
हैं जाली रिश्ता, अंदर हैं 
ज़हर बुझे तीर, 
आँखों में 
है इक 
बला की सादगी, उस मरूद्वीप में 
जा कर, बुझ न सकी बरसों 
की तिश्नगी। 
* * 
- - शांतनु सान्याल 
   
  
  
05 फ़रवरी, 2021
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सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंकितनी
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरती से लोग, निबाह जाते
हैं जाली रिश्ता, अंदर हैं
ज़हर बुझे तीर,
आँखों में
है इक
बला की सादगी, ..सुंदर और अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति..
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत खूबसूरत लेखनी है आपकी..
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंमुहाजिर परिंदों की
जवाब देंहटाएंआवारगी,
कितनी
ख़ूबसूरती से लोग, निबाह जाते
हैं जाली रिश्ता, अंदर हैं
ज़हर बुझे तीर,
वाह!!!
बहुत खूब !!!
उम्दा....
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंउस मरूद्वीप में जा कर, बुझ
जवाब देंहटाएंन सकी बरसों की तिश्नगी,
नमकीन झीलों को
छू कर, बारहा
लौट आई
ज़िन्दगी,
बहुत खूब,सादर नमन
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंअलहदा अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंवाह शांतनु जी, कटी पतंगों की कंटीली डोर से,
जवाब देंहटाएंबहुत मुश्किल है समझना,
मुहाजिर परिंदों की
आवारगी,
कितनी
ख़ूबसूरती से लोग, निबाह जाते
हैं जाली रिश्ता...क्या खूब लिखा आपने ..बहुत सुंदर
दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंअद्भुत/उम्दा।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।
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