26 फ़रवरी, 2023

इक बूंद - -

पिछली पहर हमने, भीगे गुलों में
कोई अनजान सी छुअन देखी है,

न जाने कौन छू सा गया दिल को
सीने में, मीठी सी चुभन देखी है,

अधखुली किताब में बिखरे आंसू
हर लफ्ज़ में, हमने अगन देखी है,

भरम न तोड़ो, कि तुम हमारे हो,
खंडहर में हम ने मधुबन देखी है,

ढल गया चाँद कब, पता न चला,
ख़ामोश शब, संदली दहन देखी है,

वजूद अपना हम कहीं भूल से गए   
क़तरे की तरह यहाँ जीवन देखी है,
- -  शांतनु सान्याल

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