09 जनवरी, 2014

ख़ालिस सच - -

ये वो सरज़मीन ए इश्क़ है जहाँ -
कोई फ़र्क़ नहीं बादशाह ओ
फ़क़ीर में, मुझे हासिल
है दुनिया की वो
तमाम बेश
क़ीमत
ख़ुशी, उसकी इक मुहोब्बत भरी  
नज़र में, अब क्या रखा है
सितारा शनास, इस
हथेली के उलझी
लकीर में,
न दिखाओ मुझे फ़लसफ़ा ए - - -
आईना, उसके आगे हर
चीज़ है बेमानी !
वो इक
ख़ालिस सच है सारे आलमगीर -
में, ये वो सरज़मीन ए
इश्क़ है जहाँ कोई
फ़र्क़ नहीं
बादशाह ओ फ़क़ीर में - - - - - -

* *
- शांतनु सान्याल

सितारा शनास - - ज्योतिषी
 फ़लसफ़ा - दर्शन
ख़ालिस - विशुद्ध
आलमगीर - सार्वभौम

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