अचानक ही उसने समेट लिया, रौशन
शामियाना रात ढलने से पहले,
बहोत कुछ था मेरे दिल
में मनजमद, लेकिन
उसने कहा -
ख़ुदा
हाफ़िज़, दर्द ए दिल पिघलने से पहले,
उसकी थीं मजबूरियां, या इक
ख़ूबसूरत किनाराकशी,
उसने मुस्कुराते
हुए कहा -
फिर
मिलेंगे कभी, वो जा चुके थे दूर, तारीक
दुनिया से मेरे, जिस्म से रूह
निकलने से पहले !
* *
- शांतनु सान्याल
feelings 3
शामियाना रात ढलने से पहले,
बहोत कुछ था मेरे दिल
में मनजमद, लेकिन
उसने कहा -
ख़ुदा
हाफ़िज़, दर्द ए दिल पिघलने से पहले,
उसकी थीं मजबूरियां, या इक
ख़ूबसूरत किनाराकशी,
उसने मुस्कुराते
हुए कहा -
फिर
मिलेंगे कभी, वो जा चुके थे दूर, तारीक
दुनिया से मेरे, जिस्म से रूह
निकलने से पहले !
* *
- शांतनु सान्याल
मनजमद - जमा हुआ
तारीक - अँधेरा
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