अँधेरों से उभरना, आख़िर हमने भी -
सीख लिया, वक़्त की है शायद
अपनी कोई मजबूरी, बहने
दो उसे अनजानी
मंज़िलों की
तरफ़,
किनारों पे ठहरना, आख़िर हमने भी
सीख लिया, ये सच है कोई नहीं
रुकता घायल राही के लिए,
तजुर्बा ए ज़िन्दगी से,
ज़ख़्मी क़दम
चलना,
आख़िर हमने भी सीख लिया, कोई -
नहीं होता दरअसल राज़दार ए
अश्क, दिखाते हैं लोग
यूँ ही नक़ाबपोश
हमदर्दी !
चुनांचे दर्द में भी मुस्कुराना आख़िर -
हमने भी सीख लिया, अँधेरों से
उभरना, आख़िर हमने
भी सीख लिया।
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
blooming smile
सीख लिया, वक़्त की है शायद
अपनी कोई मजबूरी, बहने
दो उसे अनजानी
मंज़िलों की
तरफ़,
किनारों पे ठहरना, आख़िर हमने भी
सीख लिया, ये सच है कोई नहीं
रुकता घायल राही के लिए,
तजुर्बा ए ज़िन्दगी से,
ज़ख़्मी क़दम
चलना,
आख़िर हमने भी सीख लिया, कोई -
नहीं होता दरअसल राज़दार ए
अश्क, दिखाते हैं लोग
यूँ ही नक़ाबपोश
हमदर्दी !
चुनांचे दर्द में भी मुस्कुराना आख़िर -
हमने भी सीख लिया, अँधेरों से
उभरना, आख़िर हमने
भी सीख लिया।
* *
- शांतनु सान्याल
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