इस क़दर बेइंतहा तेरी मुहोब्बत,
न कर जाए मुझ से जुदा
मेरी हस्ती, न भूल
जाऊं मैं कहीं,
तमाम
आलम ओ वजूद तेरी निगाह के
सामने, न बना मुझको
यूँ ज़र्रे से आसमां,
कि बिखरने
के बाद न
ढूंढ़
पाऊँ कहीं नाम ओ निशां अपना,
रहने दे मुझे यूँ ही ग़ैर महसूस,
ज़ेर साया तेरी आँखों में
कहीं, कि ग़र टूट
जाऊं कभी
तो - -
मिल जाए मुझे पनाह, कूचा ए -
दिल में तेरे कहीं न कहीं !
* *
- शांतनु सान्याल -
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
arrt by loren elizabeth conley
न कर जाए मुझ से जुदा
मेरी हस्ती, न भूल
जाऊं मैं कहीं,
तमाम
आलम ओ वजूद तेरी निगाह के
सामने, न बना मुझको
यूँ ज़र्रे से आसमां,
कि बिखरने
के बाद न
ढूंढ़
पाऊँ कहीं नाम ओ निशां अपना,
रहने दे मुझे यूँ ही ग़ैर महसूस,
ज़ेर साया तेरी आँखों में
कहीं, कि ग़र टूट
जाऊं कभी
तो - -
मिल जाए मुझे पनाह, कूचा ए -
दिल में तेरे कहीं न कहीं !
* *
- शांतनु सान्याल -
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