वो गुम है मुद्दतों से, किसी की अनंत
चाह में, ख़ुद से जुदा, सुधबुध
भूलाए, और कोई बैठा
है, ज़माना हुआ
आँखें
बिछाए, सिर्फ़ उसकी राह में, इक -
अजीब सा है अंतर्विरोध, जल
रहें है ज़मीं ओ आसमां,
फिर भी ज़िन्दगी
है महफ़ूज़
कहीं
न कहीं उसकी पनाह में, वो ज़ाहिर
हो कर भी है, मेरे दिल में छुपा
हुआ, इक बेनज़ीर इश्क़
है वो, कि मिलती
है ख़ुशी, दर्द
भरे
आह में, न पूछे कोई इस रूह की - -
आवारगी, चैन मिलता है इसे
सिर्फ़, जिस्म ओ जां
के तबाह में !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
artist amith bhar India
चाह में, ख़ुद से जुदा, सुधबुध
भूलाए, और कोई बैठा
है, ज़माना हुआ
आँखें
बिछाए, सिर्फ़ उसकी राह में, इक -
अजीब सा है अंतर्विरोध, जल
रहें है ज़मीं ओ आसमां,
फिर भी ज़िन्दगी
है महफ़ूज़
कहीं
न कहीं उसकी पनाह में, वो ज़ाहिर
हो कर भी है, मेरे दिल में छुपा
हुआ, इक बेनज़ीर इश्क़
है वो, कि मिलती
है ख़ुशी, दर्द
भरे
आह में, न पूछे कोई इस रूह की - -
आवारगी, चैन मिलता है इसे
सिर्फ़, जिस्म ओ जां
के तबाह में !
* *
- शांतनु सान्याल
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