जानबूझ कर हमने उठाई थी जाम
ए सम, इसमें क़सूर किसी
का नहीं, अब जो भी
हो हासिल, हम
ने तो तेरा
इश्क़
हलक़ से नीचे उतार लिया, अब -
दिल है मेरा मुख़ालिफ़ दर्द,
हर ज़ख्म सहने को
तैयार, ये तुझ
पे है अब
मन्हसर, कि कौन सी सज़ा होगी
मुनासिब इस से बढ़ कर,
हमने यूँ ज़िन्दगी
अपनी, तेरी
जानिब,
बरा ए फ़िदाकारी जानबूझ कर -
सामने रख दिया !
* *
- शांतनु सान्याल
जाम ए सम - विष का प्याला
मन्हसर - निर्भर
बरा ए फ़िदाकारी - क़ुर्बानी के लिए
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
abstract moon
ए सम, इसमें क़सूर किसी
का नहीं, अब जो भी
हो हासिल, हम
ने तो तेरा
इश्क़
हलक़ से नीचे उतार लिया, अब -
दिल है मेरा मुख़ालिफ़ दर्द,
हर ज़ख्म सहने को
तैयार, ये तुझ
पे है अब
मन्हसर, कि कौन सी सज़ा होगी
मुनासिब इस से बढ़ कर,
हमने यूँ ज़िन्दगी
अपनी, तेरी
जानिब,
बरा ए फ़िदाकारी जानबूझ कर -
सामने रख दिया !
* *
- शांतनु सान्याल
जाम ए सम - विष का प्याला
मन्हसर - निर्भर
बरा ए फ़िदाकारी - क़ुर्बानी के लिए
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