वो दरख़्त जिस पे लिखा था कभी
हमने नाम अपना, वो फूल
जो छुपाया था तुमने
दिल की धड़कनों
में कहीं,
वक़्त के साथ दरख़्त ग़र टूट जाए
तो कोई ताज्जुब नहीं, पृष्ठों
में दबे फूल की तरह
सूख जाए तो
कुछ भी
आश्चर्य नहीं, फिर भी कहाँ आसां
है ख़ुश्बू ए इश्क़ का फ़ना
होना, मुझे मालूम
है, आज भी
तुम्हारी
धड़कनों में कहीं न कहीं बसती है
मेरी रूह की छुअन बहोत
गहराइयों तक !
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
purity of life
हमने नाम अपना, वो फूल
जो छुपाया था तुमने
दिल की धड़कनों
में कहीं,
वक़्त के साथ दरख़्त ग़र टूट जाए
तो कोई ताज्जुब नहीं, पृष्ठों
में दबे फूल की तरह
सूख जाए तो
कुछ भी
आश्चर्य नहीं, फिर भी कहाँ आसां
है ख़ुश्बू ए इश्क़ का फ़ना
होना, मुझे मालूम
है, आज भी
तुम्हारी
धड़कनों में कहीं न कहीं बसती है
मेरी रूह की छुअन बहोत
गहराइयों तक !
* *
- शांतनु सान्याल
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