कहाँ मिलती है हर चीज़, ज़िन्दगी में
मुताबिक़ दिल के, कुछ न कुछ
समझौता है, ज़रूरी जीने
के लिए, न रख
सीने में
तलब, यूँ तस्सवुर से ज़ियादा, कि - -
टूटने के बाद, न चुभे कहीं
ख्वाबों के टुकड़े,
तमाम उम्र
जिसे
तलाश की हमने बुतों की भीड़ में, वो
शख्स था, न जाने कब से मेरे
तहे दिल में पिन्हाँ, उस
की निगाहों में है
इक अजब
सी - -
चमक आजकल, शायद उसने देखा - -
है बेदाग़ आईना, इक मुद्दत के
बाद - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by filomena booth
मुताबिक़ दिल के, कुछ न कुछ
समझौता है, ज़रूरी जीने
के लिए, न रख
सीने में
तलब, यूँ तस्सवुर से ज़ियादा, कि - -
टूटने के बाद, न चुभे कहीं
ख्वाबों के टुकड़े,
तमाम उम्र
जिसे
तलाश की हमने बुतों की भीड़ में, वो
शख्स था, न जाने कब से मेरे
तहे दिल में पिन्हाँ, उस
की निगाहों में है
इक अजब
सी - -
चमक आजकल, शायद उसने देखा - -
है बेदाग़ आईना, इक मुद्दत के
बाद - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by filomena booth
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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गणतन्त्रदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय भारत।
भारत माता की जय हो।
thanks a lot respected friend
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