ज़रा सा और उभरने दे मुझे, अभी
तक हूँ मैं ग़म की परछाइयों
में सहमा सहमा, कहीं
नूर ए इश्क़ तेरा
न कर जाए
अचानक
हैरां !
अभी अभी बेख़ुदी से ज़रा सम्भले
हैं जिस्म ओ जां, कुछ देर
और, यूँ ही रहने दे
अब्र आलूद
हाल ए
दिल,
कि आँख खुलने से क़बल, कहीं न
बिखर जाएँ पुरनम मोती,
अभी तो रात है बहोत
बाक़ी, न जा उठ
कर यूँ पहलू
से मेरे,
कि है ये उम्र भर की मिन्नतों का -
सिला - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
lotus mood
तक हूँ मैं ग़म की परछाइयों
में सहमा सहमा, कहीं
नूर ए इश्क़ तेरा
न कर जाए
अचानक
हैरां !
अभी अभी बेख़ुदी से ज़रा सम्भले
हैं जिस्म ओ जां, कुछ देर
और, यूँ ही रहने दे
अब्र आलूद
हाल ए
दिल,
कि आँख खुलने से क़बल, कहीं न
बिखर जाएँ पुरनम मोती,
अभी तो रात है बहोत
बाक़ी, न जा उठ
कर यूँ पहलू
से मेरे,
कि है ये उम्र भर की मिन्नतों का -
सिला - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
lotus mood
thanks a lot respected friend - - happy new year to all
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह ।
जवाब देंहटाएंthanks a lot respected friend - - happy new year to all
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