अपने अपने दायरे में सिमटते गए
वो सभी नाम निहाद अज़ीज़,
जब ज़िन्दगी में घिरी
यूँ तीरगी ग़ैर -
मुंतज़िर,
बहोत क़रीब हो कर भी थे वो सभी
बहोत नाशनास, हर शख्स
मांगें है मुझसे मेरी
मौजूदगी का
निशां,
अब किस किस को दिखाएँ ज़ख्म
दिल अपना, कि हमने ख़ुद
ही छुपा ली वजूद दर
साया, देखते
रहे हम
अपनी निगाहों से, मानिंद शमा यूँ
ख़ुद का ख़ाक होना, चलो इसी
बहाने तेरी महफ़िल में
उतर आई है नूर
कहकशाँ !
* *
- शांतनु सान्याल
अर्थ -
नाम निहाद अज़ीज़ - तथा कथित मित्र
तीरगी ग़ैर - मुंतज़िर - अनचाहा अँधेरा
कहकशाँ - आकाशगंगा
नाशनास, - अजनबी
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by mary
वो सभी नाम निहाद अज़ीज़,
जब ज़िन्दगी में घिरी
यूँ तीरगी ग़ैर -
मुंतज़िर,
बहोत क़रीब हो कर भी थे वो सभी
बहोत नाशनास, हर शख्स
मांगें है मुझसे मेरी
मौजूदगी का
निशां,
अब किस किस को दिखाएँ ज़ख्म
दिल अपना, कि हमने ख़ुद
ही छुपा ली वजूद दर
साया, देखते
रहे हम
अपनी निगाहों से, मानिंद शमा यूँ
ख़ुद का ख़ाक होना, चलो इसी
बहाने तेरी महफ़िल में
उतर आई है नूर
कहकशाँ !
* *
- शांतनु सान्याल
अर्थ -
नाम निहाद अज़ीज़ - तथा कथित मित्र
तीरगी ग़ैर - मुंतज़िर - अनचाहा अँधेरा
कहकशाँ - आकाशगंगा
नाशनास, - अजनबी
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