20 जून, 2023

जो हमें चाहे टूट कर

गिरते पत्तों ने हमारी अहमियत बयां की है 
हमें इसका ज़रा भी, अफ़सोस नहीं होता,
चेहरे पे हमने भी जड़ लिया है रंगीन मुखौटा, 
लहरें थमीं सी लगे, हर शै ख़ामोश नहीं होता,

तुम्हारे दृष्टिकोण से ज़माने को है क्या लेना,
हर शख्स की यहाँ अपनी मुख्तलीफ़ है दुनिया,
तुम चाहो जियो हर लम्हा ख़ुद के तस्सवुर से,
हमारी नज़र में कुछ बेतरतीब सी है दुनिया,  

हमारी मंज़िल सिर्फ तुम तक आ नहीं रूकती, 
ज़ेहन में हैं न जाने अनगिनत ख़्वाब कितने,
तुम इश्क़ में ज़िन्दगी को मुकम्मल समझे, 
सवालात तो हैं बेशुमार लेकिन जवाब कितने, 

जो दिखाई दे नज़र के सामने रूबरू जाने जाँ,
हम तो सिर्फ उस नाचीज़ की बंदगी करेंगे,
तुम चाहो तो कोई और फ़लसफ़ा इज़ाद करो,
जो हमें चाहे टूट कर, उसके नाम ज़िन्दगी करेंगे। 

- - शांतनु सान्याल 


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