बहुत सारे एहसास भाषाहीन रह जाते हैं
उम्र भर शब्दों में ढल ही नहीं पाते,
बोन्साई पौधों की तरह बस
बरगद को निष्पलक
देखा करते हैं,
असंख्य
अनुभूतियां शून्य सतह पर तैरती रहती
हैं लेकिन उनकी मृत्यु नहीं होती,
दरअसल सीने के बहुत अंदर
एक जीवंत लहर का घर
होता है, जो जीवन
को हर हाल में
सूखने नहीं
देता, हम
चाह
कर भी उस भंवर जाल से निकल नहीं पाते,
बहुत सारे एहसास भाषाहीन रह जाते हैं
उम्र भर शब्दों में ढल ही नहीं पाते।
मेरी हथेली पर जो तुम ने
अपना हाथ रखा है
उस में कितना
विश्वास है
छुपा,
कहना बहुत कठिन है, फिर भी देहात्म की
यात्रा कभी रूकती नहीं, ज़रूरी नहीं कि
दो देह रहें चिरस्थायी एक परिपूरक
समीकरण, फिर भी अदृश्य
प्रणय सेतु कभी टूटना
नहीं चाहिए, कई
नदियां दूर तक
समानांतर
रेखा की
तरह
बहती हैं साथ साथ, फिर भी दो तट बंध - -
आपस में कभी मिल नहीं पाते, बहुत
सारे एहसास भाषाहीन रह
जाते हैं उम्र भर शब्दों
में ढल ही नहीं
पाते।
* *
- - शांतनु सान्याल
वाह!शांतनु जी ,बहुत ही उम्दा ..!
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर...