22 जून, 2023

कई मधुर स्वप्न जागे

सुदूर मुहाने में हैं अप्रत्याशित
कई  मधुर स्वप्न जागे,
चंचल सरिता और
जलधि मिलते
हैं दूर कहीं
जा आगे ,
उस
मिलन बिंदु में प्लावित से
हैं कुछ अनंत अनुबंध,
कुसुमित आर्द्र
भूमि, जहाँ
मोहित
से हैं
बावरे  मकरंद, प्रीत की
असंख्य पाल
नौकाएं
बहती
जाएँ  
धीमे धीमे, जीवन लहर गिरती
उठती मचलती सी जाएँ
धीमे धीमे, वारिद
नयन, तृषित
ह्रदय,
मधुरिम सा ये समर्पण लागे, सुदूर
मुहाने में हैं अप्रत्याशित कई  
मधुर स्वप्न जागे।
- शांतनु सान्याल

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुदूर मुहाने में अप्रत्यासित कई मधुर स्वप्न जागे .
    सुंदर भावाव्यक्ति अच्छी लगी

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  2. वाह... बहुत सुन्दर स्वप्न... आपकी रचनाएँ हमेशा पूर्णतया हिंदी व्याप्त होती हैं... और वो भी शुद्ध... कुछ शब्द याद आ जाते है, जो हिंदी टीचर न पढाए थे, तो कुछ नए भी सीखने को मिलते हैं...

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  3. आप का स्नेह जीवन को एक नया आयाम देता है - नमन सह /

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  4. बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति

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  5. मधुरिम सा ये समर्पण लागे, सुदूर
    मुहाने में हैं अप्रत्याशित कई
    मधुर स्वप्न जागे।
    वाह!!!

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