15 जुलाई, 2021

अंधानुकरण - -

अद्भुत है दुनिया का चलन, उध्वस्त
घरों में सत्पुरुष गुज़ारे है अपना
जीवन, कलंकित नायकों
को यहाँ मिलता हैं
राजत्व का
सिंहासन,
अद्भुत
है दुनिया का चलन। अट्टालिकाओं
के नीचे ही बसते हैं सामयिक
अनेक संसार, वही चक्र
सदियों से घूमता
हुआ पीढ़ी दर
पीढ़ी,
ईंट ढोते कांधों का होता है केवल
बदलाव, जीवन जीते हैं लोग
बस नियति के अनुसार,
कानी कौड़ी भी नहीं
उनके पास जो
उम्र भर
करते
रहे हिरक खनन, अद्भुत है दुनिया
का चलन। चाटुकारों की इस
सभा में, हर चेहरा रखता
है अपने अंदर एक
छिपा हुआ
चेहरा,
इस महफ़िल का का सदस्य होता
है अल्पकालीन अंधा और
बहरा, हर कोई करता
हैं यहाँ भेड़ों की
तरह नग्न
राजन
का
सम्मोहित अनुकरण, अद्भुत है - -
दुनिया का चलन, उध्वस्त
घरों में सत्पुरुष गुज़ारे
है अपना
जीवन।

* *
- - शांतनु सान्याल

Painting - Kate Bedell


2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!गज़ब लिखा आपने आदरणीय शांतनु सर।
    कलंकित नायकों
    को यहाँ मिलता हैं
    राजत्व का
    सिंहासन...यथार्थ लिखा।
    शब्द शब्द वर्तमान की पीड़ा को उकेरता हुआ वर्तमान ही क्या सदियों से यही होता आया है।
    जितनी प्रशंसा की जाए कम है सराहनीय सृजन।
    सादर नमस्कार।

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  2. आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।

    जवाब देंहटाएं

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