रख जाओ कभी, कुछ महकते ख्वाब,
दिल के क़रीब, मुद्दतों से खुली हैं
चाहतों की खिड़कियाँ,
न उड़ जाए कहीं
तेज़ हवाओं
में यूँ ही
ख़ुश्बू ए जुनूं, हैं बेक़रार सी आजकल
अहसासों की तितलियाँ, कहाँ
रोके रुकती है मौसम
ए बहार, चले भी
आओ दिल
की पनाहगाह में, उफ़क़ पार कौंधती -
हैं फिर कहीं बादलों में रह रह
के बिजलियाँ - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
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दिल के क़रीब, मुद्दतों से खुली हैं
चाहतों की खिड़कियाँ,
न उड़ जाए कहीं
तेज़ हवाओं
में यूँ ही
ख़ुश्बू ए जुनूं, हैं बेक़रार सी आजकल
अहसासों की तितलियाँ, कहाँ
रोके रुकती है मौसम
ए बहार, चले भी
आओ दिल
की पनाहगाह में, उफ़क़ पार कौंधती -
हैं फिर कहीं बादलों में रह रह
के बिजलियाँ - -
* *
- शांतनु सान्याल
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thanks a lot respected friend - regards
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