चुप्पी सी रही देर तक, उनसे मिलने
के बाद, इक ठहराव सा रहा देर
तक, महकती साँसों में यूँ
शाम ढलने के बाद,
कुछ ज़्यादा
रंगीन
थे बादलों के साए, अँधेरे भी आज -
कुछ ज़्यादा ही सुरमयी नज़र
आए, राहत ए तिश्नगी
थी ज़िन्दगी में
आज,
मुद्दतों तड़पने के बाद, न जाने कहाँ
से उड़ आते हैं, ख़ुश्बुओं के
हमराह तेरी इश्क़
के यूँ संदली
अहसास,
इक आराम सा मिलता है, दिल को
तमाम दिन झुलस जाने के
बाद.
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
art by Charles-Sheeler
के बाद, इक ठहराव सा रहा देर
तक, महकती साँसों में यूँ
शाम ढलने के बाद,
कुछ ज़्यादा
रंगीन
थे बादलों के साए, अँधेरे भी आज -
कुछ ज़्यादा ही सुरमयी नज़र
आए, राहत ए तिश्नगी
थी ज़िन्दगी में
आज,
मुद्दतों तड़पने के बाद, न जाने कहाँ
से उड़ आते हैं, ख़ुश्बुओं के
हमराह तेरी इश्क़
के यूँ संदली
अहसास,
इक आराम सा मिलता है, दिल को
तमाम दिन झुलस जाने के
बाद.
* *
- शांतनु सान्याल
art by Charles-Sheeler
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें