वो मुझ से बिछुड़ कर, किसी
और से उम्र भर जुड़ न
सका, खुली रहीं
हर सिम्त
दिल
की वादियां, फूल, दरख़्त ओ
बहते हुए झरने, क्या
कुछ न थे उसके
सामने, फिर
भी न
जाने क्यूँ, वो चाह कर भी - -
खुले आसमां पे उड़ न
सका, कोई क़सम
न थी हमारे
दरमियां,
न ही
कोई क़रारनामा, दिल की - -
किताब थी खुली हुई
उसके रूबरू,
फिर
भी न जाने क्यूँ आसां लफ़्ज़ों
की शायरी वो पढ़ न
सका, वो मुझ से
बिछुड़ कर,
किसी
और से उम्र भर जुड़ न सका,
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
painting by Maria Serafina
और से उम्र भर जुड़ न
सका, खुली रहीं
हर सिम्त
दिल
की वादियां, फूल, दरख़्त ओ
बहते हुए झरने, क्या
कुछ न थे उसके
सामने, फिर
भी न
जाने क्यूँ, वो चाह कर भी - -
खुले आसमां पे उड़ न
सका, कोई क़सम
न थी हमारे
दरमियां,
न ही
कोई क़रारनामा, दिल की - -
किताब थी खुली हुई
उसके रूबरू,
फिर
भी न जाने क्यूँ आसां लफ़्ज़ों
की शायरी वो पढ़ न
सका, वो मुझ से
बिछुड़ कर,
किसी
और से उम्र भर जुड़ न सका,
* *
- शांतनु सान्याल
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painting by Maria Serafina
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